नई दिल्ली। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से अधिकार वापस लेने और उन्हें छुट्टी पर भेजने के सरकार के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई शुरू हो गई है। सीजेआई रंजन गोगोई ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा था कि सरकार ने रातों-रात 23 अक्टूबर को सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा से उनकी शक्तियां क्यों वापस ले ली थीं?
कोर्ट ने पूछा कि वर्मा के रिटायरमेंट में कुछ ही महीने बाकी बचे थे, तो कुछ महीनों का इंतजार क्यों नहीं किया गया और सेलेक्शन कमेटी से सलाह क्यों नहीं ली गई थी। सरकार को सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा से सारी शक्तियां छीनने का फैसला रातों-रात लेने के लिए किसने प्रेरित किया? न्यायमूर्ति गोगोई ने महाधिवक्ता तुषार मेहता से कहा, ‘सरकार को निष्पक्ष होना चाहिए। आलोक वर्मा से उनकी शक्तियां छीनने से पहले सरकार को चयन समिति से परामर्श लेने में क्या दिक्कत थी?
हर सरकार की कार्रवाई की भावना संस्थान के हित में होनी चाहिए।सीजेआई रंजन गोगोई ने पूछा कि सीबीआई के दो वरिष्ठतम अधिकारियों के बीच लड़ाई रातों-रात शुरू नहीं हुई थी। फिर सरकार ने सेलेक्शन कमेटी से सलाह किए बिना रातों-रात सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई क्यों की?इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सीवीसी इस नतीजे पर पहुंचा है कि सीबीआई में असाधारण परिस्थितियां पैदा हो गई थी, लिहाजा कभी कभार विशेष परिस्थितियों में विशेष कदम उठाने पड़ते हैं।